अस्तित्व की तलाश : अन्तर्मन में झाँकने का प्रयास

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अस्तित्व की तलाश : स्त्रीत्व का स्वर
“अस्तित्व की तलाश” शीर्षक से प्रकाशित कविता संग्रह, कवयित्री स्वेता सिंह द्वारा रचित स्त्रीत्व का एक मार्मिक चित्रण है। अपनी कविताओं के माध्यम से, स्वेता न केवल स्त्री के संघर्षों को उजागर करती हैं, बल्कि उसकी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास को भी दर्शाती हैं। यह स्त्री की आवाज का एक नया और शक्तिशाली संग्रह है। इन पंक्तियों में स्त्री अपने अस्तित्व, अपनी पहचान और अपनी आवाज की तलाश करती है।
“कमजोर हूँ फिर भी तेरे लिए खड़ी हूँ” – स्त्री अपनी कमजोरियों को स्वीकार करते हुए भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करती है। वह पुरुषों के बराबर खड़ी होने का दावा करती है, भले ही वह उनसे अलग हो।

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  • Author: Sweta Singh
  • Edition: First
  • Language: Hindi
  • Publisher: Anjani Prakashan
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अस्तित्व की तलाश : स्त्रीत्व का स्वर
“अस्तित्व की तलाश” शीर्षक से प्रकाशित कविता संग्रह, कवयित्री स्वेता सिंह द्वारा रचित स्त्रीत्व का एक मार्मिक चित्रण है। अपनी कविताओं के माध्यम से, स्वेता न केवल स्त्री के संघर्षों को उजागर करती हैं, बल्कि उसकी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास को भी दर्शाती हैं। यह स्त्री की आवाज का एक नया और शक्तिशाली संग्रह है। इन पंक्तियों में स्त्री अपने अस्तित्व, अपनी पहचान और अपनी आवाज की तलाश करती है।
“कमजोर हूँ फिर भी तेरे लिए खड़ी हूँ” – स्त्री अपनी कमजोरियों को स्वीकार करते हुए भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करती है। वह पुरुषों के बराबर खड़ी होने का दावा करती है, भले ही वह उनसे अलग हो।
“रोजमर्रा की भाषा हमारी रोजगार की भाषा है, राजभाषा ही हमारे अधिकार की भाषा है” – स्त्री अपनी भाषा के महत्व पर जोर देती है। वह कहती है कि रोजमर्रा की भाषा में ही उसकी रोजगार और अधिकारों की बातें छिपी हैं।
“हमने अपनों को पराया होते देखा है, परायों में हमने अपनापन देखा है”– स्त्री रिश्तों की बदलती प्रकृति पर टिप्पणी करती है। वह कहती है कि कैसे अपनों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं और परायों के बीच अपनापन दिख रहा है।
“सच-सच बताओं ओ कान्हा पुकार मेरी जाती नहीं, कुंड में कूद जौहर भी कर लिए, फिर भी आप आते नहीं” – स्त्री अपनी भावनाओं को व्यक्त करती है। वह कहती है कि कैसे उसकी पुकार अनसुनी रहती है और उसकी प्रार्थनाएं स्वीकार नहीं की जाती हैं।
“संवेदनाओं का यह सफर है, भावनाओं का यह लहर है, हमने जो चाहा वहीं यह पहर है, साथ में तेरे हर एक सफर है”– स्त्री जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करती है। वह कहती है कि जीवन भावनाओं का एक सफर है और हर पल अनमोल है।
“गुजरते वक्त के साथ जीना सीखा है हमने, ठोकरों से सम्भलना सीखा है हमने, जख्मों से दवा करना सीखा है हमने आँसुओं से मुस्कुराना सीखा है” – स्त्री जीवन के कठिन अनुभवों से सीखती है। वह कहती है कि कैसे उसने मुश्किलों का सामना करना और उनसे आगे बढ़ना सीखा है।
“अस्तित्व की तलाश” स्त्री जीवन का एक काव्यात्मक चित्रण है। यह कविता संग्रह स्त्री की भावनाओं, संघर्षों, सपनों और आकांक्षाओं को दर्शाता है। कवयित्री ने अपनी रचनाओं में स्त्री जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़ी ही खूबसूरती से उकेरा है। यह कविता संग्रह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो स्त्री जीवन को समझना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, “अस्तित्व की तलाश” स्त्री के जीवन का एक समग्र चित्रण है। यह स्त्री के संघर्षों, उसकी भावनाओं और उसकी आंतरिक शक्ति को दर्शाता है। कवयित्री स्वेता सिंह स्त्रीत्व के स्वर को बखूबी व्यक्त करती हैं और अपनी कविताओं के माध्यम से स्त्री सशक्तिकरण का संदेश देती हैं।
यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए अनुशंसित है जो स्त्री जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझना चाहते हैं। यह उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणादायी पुस्तक है जो जीवन में अपनी पहचान और अस्तित्व की तलाश में हैं।

Weight 159 g
Dimensions 24 × 14 × 1 cm
Book Type

PDF Book, Paperback

2 reviews for अस्तित्व की तलाश : अन्तर्मन में झाँकने का प्रयास

  1. Munmun

    मन को छूँ लेने वाली कविताओं का सइंग्रह है*****

    • NANDLAL

      धन्यवाद

  2. Munmun

    अच्छी पुस्तक

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