कोई भी लेखक, साहित्यकार लेखन द्वारा अपने अनुभवों को अभिव्यक्ति देता है। जिस समाज में रहता है, जिन लोगों के बीच जीवन यापन करता है, हर समय कुछ न कुछ देखता रहता है, महसूस करता है और अनुभव करता है। उसका संगति-विसंगति का ज्ञान, भावनाओं-संवेदनाओं की अनुभूति, उसका अनुभव उसे चैन लेने नहीं देते, वह अपने प्राप्त ज्ञान और अनुभव को बांटना चाहता है, लोगों तक पहुँचाना चाहता है। इसके लिए साहित्य ही है जिसके सहारे वह लोगों तक पहुँचता है।
जगद्दल, उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल के श्री राम अवतार साव सरकारी सेवा में रहते हुए साहित्य-सृजन कर रहे हैं। पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएं प्रकाशित होती हैं। आजकल साझा संकलनों का दौर है। ‘उधेड़बुन’ उनका प्रथम कहानी संग्रह है जो आपके समक्ष प्रस्तुत है। वैसे तो मैं हर लेखक, रचनाकार को महत्वपूर्ण मानता हूँ क्योंकि लेखक में दुनिया को समझने की अलग से शक्ति-सामर्थ्य होती है। इसी आधार पर वह दुनिया का मूल्यांकन और सम्पूर्ण मानवता का मार्ग-दर्शन करता है। इस संकलन में उनके द्वारा आप सभी की रुचि को ध्यान में रखकर ज़मीन से जुड़ी हुई और आज के समय को आधार बना कर समाज की हकीकत को दर्शाते हुए कहानियों का एक गुलदस्ता तैयार किया गया है इस गुल्द्स्ते में प्रत्येक कहानी को क़रीने से सजाया गया है। इनमें आदमी का बहकना और मजबूरी का निर्वहन कैसे किया गया उसे दर्शाने की कोशिश की गई है।
इस संग्रह में राम अवतार साव की 20 कहानियाँ संग्रहित हैं। यह उनका प्रथम कहानी संग्रह है, अवश्य ही ताजी चेतना और अनुभूतियों से भरी कहानियाँ होंगी। कहानियाँ आकार में छोटी-छोटी हैं और कहानीकार के आसपास के परिदृश्यों से भरी हैं। संवेदना, भावना, करुणा व प्रेम के साथ-साथ भाषा-शैली प्रभावित करती लगती है और उनके अनुभव का दायरा कम नहीं है।
‘उधेड़बुन’ कहानी का संदेश यही है, जब तक मामला दूसरों से जुड़ा रहता है, लोग उपदेश देते रहते हैं और आदर्श बनने की बातें करते है, वही मामला जब अपने सिर पड़ता है, उधेड़बुन शुरू हो जाती है। ‘एगरोल’ बाल मनोविज्ञान की कहानी है। हर मां-बाप को अपने बच्चों के प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिए। बच्चे गुण-दुर्गुण घर में ही ग्रहण करते हैं। ‘आकर्षण’ कहानी का संदेश अपनी जगह सही है। मनोरमा सही निर्णय लेती है। ‘कामरुप एक्सप्रेस’ कहानी बहुत कुछ कहती है जिसे तत्काल समझ पाना सहज नहीं है। ‘ब्यूटी पार्लर’ अपनी तरह की मार्मिक कहानी है। पति द्वारा शोषण, कर्ज चुकाने की मजबूरी ब्यूटी को इस बाजार में ले आया है। शौनक निराश होता है। ‘सब देख रहे हैं’ युवा लड़के-लड़की की कहानी है, कहानीकार कुछ अधिक ही उतावला है। ऐसी कहानियाँ आम हैं। लेखन से जुड़ने वालों को साहित्य पढ़ना भी चाहिए, साहित्य के तत्वों, तथ्यों बारे में पता चलता है। ‘बाराती’ कहानी में मार्मिकता है, व्यंग्य है और नारी विमर्श की सच्चाई भी है।
उम्मीद हैं आप सभी को यह कहानी संग्रह पसंद आएगी। अगर आप लोगों का प्यार और आशीर्वाद मिला तो भविष्य में आप के लिए और भी बेहतर कहानियाँ आपके मनोरंजन के लिए लेखक लेकर आएँगे। आप सबसे एक और विनती है कि राम अवतार जी के लेखन की कमियाँ भी बताएँ जिससे वो आने वाले लेखन में सुधार कर सकें। कहानियाँ पढ़ कर अपनी बेबाक राय से अवगत कराने की कृपया करे।
उधेड़बुन
₹200.00
उधेड़बुन
हम अपने आस पास, अपने सामाजिक परिवेश, राजनीतिक परिवेश, पारिवारिक परिवेश, वैयक्तिक परिवेश जहां कहीं भी ध्यान दें सब कहानियाँ ही तो हैं छोटी-छोटी कहानियाँ जिसकी चर्चाएं अक्सर हमारे घरों में होती है। मेरी भी लिखी हुई कहानियाँ इसी समाज से ताल्लुक़ रखती हैं वस्तुतः इसी सामाजिक वातावरण से खंगाली गयी हैं जिन पर कभी सत्यता की झीनी चादर है, तो कभी कल्पना के सारगर्भित परिधान। मेरे हिसाब से जरूरी नहीं कि हमेशा एक कहानी खत्म ही हो जाये कोई-कोई कहानी खत्म नहीं होती वरन पाठकों के मन में प्रश्नों और संभावनाओं का अंबार लगा कर चली जाती हैं। मेरी उधेड़बुन शीर्षक कहानी जहाँ वैवाहिक जीवन के शुरुआत में पुरुषों के वैचारिक लामबंदी की ओर इशारा करती हैं वहीं पाठकों को सोचने पर मजबूर भी करती है। ‘बाराती’ शीर्षक कहानी स्त्री विमर्श के आधार पर पुरुषों की सोच को दर्शाने का काम करती है।
70 in stock
- Author: RAM AVTAR SHAW
- Edition: First
- Language: Hindi
- Publisher: Anjani Prakashan
Weight | 130 g |
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Dimensions | 24 × 14 × 1 cm |
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