कोकिला
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श्रद्धा सुमन
‘कोकिला’ नाम से शीघ्र प्रकाश्य खण्ड-काव्य के लिए मुझे कुछ लिखना है और मैं समझ नहीं पा रही उस महान रचनाकार आदरणीय आचार्य श्री पण्डित पूर्णानंद शर्म्मा ‘सरस्वती’ जी की लेखनी पर कैसे लिखूँ! क्या लिखूँ! इस खण्ड-काव्य की ओरिजिनल हस्तलिखित पाण्डुलिपि मुझे पढ़ने को मिली। पाण्डुलिपि में निहित एक-एक रचना को पूरे मनोयोग से पढ़ा और दंग रह गई। इस पांडुलिपि को सिर माथे लगाया जिसके अन्दर एक अनमोल, दुर्लभ खजाना, एक सुंदर साहित्यिक धरोहर छिपी थी। जितने सुंदर शब्द, उतने ही सुंदर मनोभाव और उतना ही ख़ूबसूरत शब्दों का गठजोड़! मैं श्रद्धानत हूँ। उस महान रचनाकार की लेखनी पर मुझे कुछ लिखने का सुयोग मिला, ये मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है। मेरे हाथ कांप रहे हैं और आँखें अश्रुपूरित हैं।
आचार्य श्री पण्डित पूर्णानंद शर्म्मा जी के पुत्र श्री दीपक शर्म्मा जी ने मुझे ये पाण्डुलिपि पढ़ने को दी जिन्होंने इस पुस्तक रूप देने का संकल्प लिया है। इस महती कार्य में दीपक जी की विदुषी पत्नी सुमन जी भी जुड़ी हैं।
ये खण्ड-काव्य जल्दी प्रकाशित होकर हम सबके हाथों पहुँचे इसकी कामना करती हूँ। आप इसे पढ़े, दूसरों को पढ़ाएँ। ऐसी रचना विरले ही रच पाते हैं और हम भाग्यशाली हैं कि ये हमें उपलब्ध कराया जा रहा है। निश्चित रूप से ये एक कालजयी खण्ड काव्य सिद्ध होगी जिसे एक महामानव ने रचा है। उन आदरेय को मेरा शत्-शत् प्रणाम…
माला वर्मा
200 in stock
- Author: PURNANAND
- Edition: First
- Language: Hindi
- Publisher: Anjani Prakashan
Weight | 250 g |
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Dimensions | 24 × 14 × 2.5 cm |
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