हिंदी–उर्दू मिश्रित भाव वाले अज़रबैजान नाम को मैंने पहले भी सुना था और थोड़ी बहुत जानकारी थी लेकिन अचानक से अज़रबैजान घूमने का प्लान हो सकता है इसका अंदाजा न था।”सोवियत भूमि” पत्रिका शायद आपको भी याद हो! सोवियत रूस में होने वाली क्रियाकलापों को इस पत्रिका में स्थान दिया जाता था और उन्हीं पन्नों पर अज़रबैजान का नाम आता था।भारी–भरकम ऊनी कपड़ों में लदे–फदे वहां के रशियन लोग तथा स्कूली गोरे–चिट्टे सुंदर बच्चे हमें याद दिला जाते कि वह देश कितना उन्नत व खुशहाल है। साम्यवादी तरीकों से देश को समृद्ध दिखाने वाली पत्रिका को देख पढ़कर सोवियत रूस को करीब से देखने की इच्छा होती थी। वैसे उनदिनों मेरे लिए ये बात एक ख्याली पुलाव से ज्यादा न थी।
ये और बात है कि साम्यवाद में कई खामियां नजर आने लगी और यह धीरे-धीरे खत्म होने लगा। खैर, कई तरह के उतार-चढ़ाव के बाद रूस में ढेरों परिवर्तन हुए। अज़रबैजान एक अलग देश बना और अपने बलबूते इसने खुद को बहुत उन्नत समृद्धशाली बना लिया। जिस धरती से अनाज, साग– सब्जी, फल– फ्रूट के साथ-साथ तेल और गैस भी उपजती हो– उस देश में तो सोना ही बरसेगा।
इतना सब होने के बाद भी कोई अज़रबैजान जाने के बारे में कहां सोचता था! खुद मेरे ड्रीम डेस्टिनेशन में यह नाम कभी नहीं रहा। जो हुआ अचानक से प्लान हुआ। रुस घूमने की ललक सबको होती है लेकिन यह अज़रबैजान अचानक से पर्यटन नक्शे पर उतर इस कदर छा गया कि आज की तारीख में हर टूर कंपनी इस देश अज़रबैजान को घूमाने के लिए ललायित है।जिस देश का नाम भर सुना था वहां की कभी यात्रा करूंगी मेरे लिए खुद अजूबा बन गया।
यहां की राजधानी बाकू को हम एक तेल नगरी के नाम से जानते थे यानी यहां पेट्रोल की बहुतायत है।यहां से प्राप्त होने वाला तेल रूस की आर्थिक अवस्था को काफी आगे तक ले गया। अज़रबैजान की राजधानी बाकू शहर समृद्धि और आधुनिकता में दुनिया के किसी बड़े शहर से मुकाबला कर सकता है।और इस विकास को, उन्नति को लोग गैर साम्यवादी नजरिए से जोड़कर देखते हैं अर्थात साम्यवाद छोड़ने के बाद यह देश तेजी से आगे बढ़ा है।
अज़रबैजान को “लैंड ऑफ फायर” भी कहा जाता है। यहां की धरती से आग जो निकलती थी और इस दौरान आतिशगाह यानी अग्नि मंदिर का निर्माण हुआ जिसमें पारसी लोगों के साथ-साथ भारतीय लोग भी जुड़े थे। मैंने तो देख लिया “बाकू” कभी आपका मन करे तो घूम आइए। इस देश में एक और अजूबा है “मड वोल्कानो”। ऐसा दृश्य शायद ही कहीं और देखने को मिले। वोल्कानो या ज्वालामुखी हमेशा गर्म लावा ही उगलती है लेकिन एक वोल्कानो ऐसा भी है जो ठंडी गाढ़ी मिट्टी उगलती है। इसने छोटे-बड़े टीलों से लेकर, इस जमीनी उबलती मिट्टी ने कई पहाड़ भी खड़े कर दिए हैं।आंखों से ना देखे तो कतई विश्वास ना हो और फिर तेल खनन का कार्य, मोटे-मोटे पाइपों से उसकी सप्लाई!!
बाकू जितना दिन के उजाले में सुंदर दिखता है उससे कहीं ज्यादा रात में खूबसूरत दिखता है। मानो हर रात यहां के आकाश में पूनो का चांद उतर आता हो! यहां की आलीशान इमारतें मन मोह लें। मैंने अज़रबैजान देश को देखा और जितना बन पड़ा उसे इस यात्रा वृतांत में संजो दिया है। आप पढ़िए और एक देश, एक सभ्यता को करीब से महसूस कीजिए…
माला वर्मा
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