नयनतारा
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‘नयनतारा’ मेरा सातवाँ कहानी संग्रह है जिसे अपने पाठकों के समक्ष रखते हुये मुझे खुशी हो रही है। साहित्य हमेशा से समाज का दर्पण रहा है। मेरी कहानियाँ हर बार की तरह देखी-सुनी सच्ची कहानियों पर आधारित होती है। आपको कैसी लगी! कोई सुझाव, कुछ आलोचना! अपना विचार रख सकते हैं।
श्री विनय कुमार शुक्ल जी और श्री विजय कुमार तिवारी जी का तहे दिल से आभार प्रकट करती हूँ जिन्होंने मेरी इन कहानियों को पढ़कर अपनी टिप्पणी दी है। मेरी कहानी संग्रह को अपना अमूल्य समय देकर, इसका मान सम्मान बढ़ाया। पुनः आभार।
‘अंजनी प्रकाशन’ के नंदलाल साव जी का धन्यवाद जिनकी देखरेख सुझाव में मेरी कहानियों को एक पुस्तक रूप मिला। ये कहानियाँ उन सभी पात्रों को समर्पित हैं जिनसे मेरा कभी न कभी टकराव हुआ और कहानियाँ बनती गई।
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‘नयनतारा’ के इस अंक का आपके हाथों में होना इस बात का द्योतक है कि आप भी आम-जन के जीवन के नित नए रंग में सरोबार वास्तविक घटनाओं से संप्रेरित कहानियों के शौकीन हैं। यह संस्करण है ही ऐसा जिसे केवल हाथों में लेने से ही तृप्ति नहीं होगी, इसे पूरा पढ़े बिना चैन कहाँ मिलेगा। विश्वास कीजिये जब मेरे पास नयनतारा आई तो मेरी भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी।
इसके पहले अध्याय में प्रवेश करते ही मुझे ‘शिरीष के फूल’ की याद आ गई जिसमें शिरीष के फूलों के माध्यम से हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने राजनीति से लेकर जीवन के लगभग हर क्षेत्र में होने वाली विसंगतियों पर न केवल कटाक्ष किया है अपितु कष्टों का कारण भी बताया है।
इतने अंतराल के पश्चात सरल कहानी के माध्यम से व्यंग्य रचना की वही शैली नयनतारा में परिलक्षित हुई। जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाएंगे जीवन की जद्दोजहद को साथ लिये यह पाठ आपके मन पर छाप छोड़ती चली जाएगी।
आप चाहे जिस माहौल में रहते हों, कुल 15 कहानियों का यह गुलदस्ता आपको हर कहानी के साथ आम आदमी के जीवन के एक-एक पड़ाव, एक-एक रिश्ते, दुश्वारियों और हर दुश्वारियों में से तीव्र जिजीविषा से ज़िंदगी पटरी पर दौड़ती ही नजर आएगी।
इतनी सुंदर प्रस्तुति और इस संकलन के लिये आदरणीया माला वर्मा जी को साधुवाद और हार्दिक बधाई।
बिनय कुमार शुक्ल
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