मायरा
₹200.00
“मायरा” में प्रस्तुत की गई लघुकथाएं विविधता में समृद्ध हैं। लेखिका ने हर कहानी में एक विशेष संदेश दर्शाया है, जो पाठकों के मनोबल को मजबूत करता है और उन्हें सोचने पर आमंत्रित करता है।
“मायरा” की हर कहानी रोचक है। यह संग्रह पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है बल्कि उन्हें समाज में होने वाले परिवर्तनों और उनके जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण निर्णयों के साथ विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
“मायरा” एक छोटी बच्ची है, जो अपनी दादी से जिद करती है उसे अंटार्कटिका से एक ‘पेंगुइन’ चाहिए वो भी छोटे साइज का जिसके साथ वो खेल सके। बड़ा ‘पेंगुइन’ उसे नहीं चाहिए क्योंकि उसे डर है वो उसके फ्रिज का सारा खाना खा जाएगा। एक बाल सुलभ डर-भय और उत्सुकता क्या होती है, इसे लेखिका ने अपनी लेखनी से जीवंत कर दिया है।
“मायरा” एक ऐसी पुस्तक है जो पाठकों के दिलों में संवेदनशीलता और समाजिक सचेतनता का बीज बोती है। इसकी लघु कहानियां जीवन के उतार-चढ़ाव, प्रेम, संघर्ष और आत्म-समर्पण के मूल्यों को विस्तार से व्यक्त करती हैं।
Weight | 159 g |
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Dimensions | 29 × 14 × 1 cm |
150 in stock
लघुकथा संग्रह की श्रृंखला में यह मेरा पांचवा संकलन है। इस संग्रह में मेरी 60 लघुकथाएं हैं। हम सबकी जिंदगी में सुखद-दुखद घटनाएं घटती रहती हैं और इसी सुख-दुख की आँखमिचौली में मैंने कई घटनाओं को अपनी लेखनी में पिरोया है। इसमें आपको कहीं शर्मिंदगी, कहीं तीखापन तो कहीं मिठास का अनुभव होगा।
“मायरा” मेरी पोती है जो अभी मात्र सात वर्ष की है। मायरा की बड़ी बहन आन्या (अरित्री) अभी साढ़े ग्यारह वर्ष की है। आन्या पर मैंने ऑलरेडी दो किताब एक कविता संग्रह (आन्या) तथा एक लघुकथा संग्रह( इंग्लिश विंग्लिश) निकाल चुकी हूं। अब बारी थी छुटकी “मायरा” के नाम पर एक किताब निकालूं। मेरे बेटे-बहू (अभिजीत-रश्मिप्रिया) ने मुझे दुनिया का सबसे सुंदर उपहार दिया है इन दो बेटियों आन्या व मायरा के रूप में।
इस नवीन संग्रह को पढ़िए और अपने विचारों से मुझे अवगत कराएं। उम्मीद है “मायरा” आपको पसंद आएगी। पुस्तक के पिछले पन्ने पर मेरे बेटा-बहु, दोनों पोती आन्या व मायरा मौजूद हैं। अंजनी प्रकाशन को इस पुस्तक हेतु आभार।
माला वर्मा
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