स्पेन-पुर्तगाल

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स्पेन-पुर्तगाल : यात्रा संस्मरण एक अद्भुत अनुभव

माला वर्मा जी द्वारा लिखित “स्पेन-पुर्तगाल: यात्रा संस्मरण” पुस्तक उन पाठकों के लिए एक अद्भुत भेंट है जो यात्रा और साहित्य दोनों का आनंद लेते हैं। यह पुस्तक लेखिका की 21वीं यात्रा संस्मरण पुस्तक है, जो दर्शाता है कि वे यात्रा और लेखन के प्रति कितनी समर्पित हैं।
यह पुस्तक केवल एक यात्रा वृत्तांत नहीं है, बल्कि यह स्पेन और पुर्तगाल के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और कला का एक आकर्षक चित्रण भी है। लेखिका ने इन देशों के विभिन्न पहलुओं को बारीकी से देखा है और पाठकों को अपनी यात्रा के दौरान अनुभव किए गए विभिन्न भावनाओं और विचारों से अवगत कराया है। लेखिका की लेखन शैली सरल, सहज और आकर्षक है। वे जटिल विषयों को भी आसानी से समझाती हैं, जिससे यह पुस्तक सभी उम्र के पाठकों के लिए उपयुक्त बन जाती है।
25 अगस्त 2023 को शुरू हुई यह यात्रा, पाठकों को स्पेन और पुर्तगाल के मनोरम दृश्यों से रूबरू कराती है। बार्सिलोना, वेलेंसिया, ग्रेनाडा, सेविले, लिस्बन, मैड्रिड जैसे शहरों का वर्णन, उनकी संस्कृति, इतिहास और वास्तुकला को जीवंत तरीके से प्रस्तुत करता है।
माला वर्मा, 30 जनवरी 1956 को बिहार के आरा में जन्मीं, एक प्रसिद्ध लेखिका हैं। उन्होंने वनस्पति विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। माला वर्मा ने अपने पिता डॉ॰ बी.एम. सिन्हा और माता श्रीमती बृज देवी से प्रेरणा प्राप्त की। लेखन के प्रति जुनून रखने वाली माला वर्मा ने विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें यात्रा संस्मरण, लघुकथा, कहानी संग्रह, कविता संग्रह और सम्पादन शामिल हैं।
लेखिका का लेखन सरल, सहज और रोचक है। वे पाठकों को अपनी यात्रा के साथ इस तरह से जोड़ती हैं कि वे मानो खुद उनके साथ यात्रा कर रहे हों। वे विभिन्न स्थानों, लोगों और अनुभवों का सजीव वर्णन करती हैं, जो पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि माला वर्मा जी एक बहुमुखी लेखिका हैं जिन्होंने विभिन्न विधाओं में 40 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। माला वर्मा और उनकी रचनाओं पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोध कार्य (पीएचडी) चल रहे हैं, जो उनकी रचनाओं की लोकप्रियता और साहित्यिक महत्व का प्रमाण है।
“स्पेन-पुर्तगाल: यात्रा संस्मरण” एक उत्कृष्ट पुस्तक है जो यात्रा साहित्य के प्रेमियों को निश्चित रूप से पसंद आएगी। यह पुस्तक न केवल आपको इन देशों की यात्रा करवाएगी, बल्कि आपको उनकी समृद्ध संस्कृति और कला से भी परिचित कराएगी। यदि आप यात्रा और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अवश्य पढ़ने योग्य है।
यह पुस्तक केवल एक यात्रा वृत्तांत नहीं है, बल्कि संस्कृति, इतिहास और मानवीय अनुभवों का संगम है। माला वर्मा की सजीव भाषा और रोचक वर्णन पाठकों को यात्रा के साथ-साथ ज्ञान और प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।
मैं इस पुस्तक को उन सभी पाठकों को सशक्त रूप से सुझाता हूं जो यात्रा और साहित्य दोनों का आनंद लेते हैं। यह पुस्तक आपको स्पेन और पुर्तगाल की यात्रा पर ले जाएगी और आपको इन देशों के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और कला से परिचित कराएगी।

Weight 300 g
Dimensions 24 × 14 × 3 cm

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Description

आजादी के बाद जब हमारे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आया तो हम यूरोप के पर्यटन की ओर मुखातिब हुए। उन दिनों हमें लंदन, पेरिस, स्विट्जरलैंड आदि कुछ प्रमुख स्थानों को ही परोसा गया। कुछ दूरदराज देशों की बारी बाद में आई। खैर, देर से ही सही आज “स्पेन-पुर्तगाल” लोगों को कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य तो यहां है ही,जो लोग इतिहास भूगोल में रुचि रखते हैं उनके लिए तो यहां खजाना छुपा है। वैसे पूरा यूरोप ऐतिहासिक मामले में बहुत रोचक और समृद्धशाली है और स्पेन-पुर्तगाल तो यूरोप का एक विशेष हिस्सा माना जाता है।
आलू, मिर्ची, टमाटर मकई आदि को अमेरिका से बाहर पूरे विश्व को खिलाने वाले यही देश थे।एडवेंचर तथा पृथ्वी के कई हिस्सों की खोज करने वाला स्पेन-पुर्तगाल अति रोचक चैप्टर अपने अंदर समाहित किए है। इसके अलावा भी ढेरों बातें हैं जैसे कि यूरोप में धार्मिक पुनर्जागरण (रेनेशां) की एक शुरूआती चिंगारी स्पेन-पुर्तगाल से ही भड़की थी जो बाद में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई।
उन दिनों यूरोप में ऐसा कोई कट्टर धर्म नहीं था।सारे लोग यूं ही बिना किसी नियम– कानून, पूजा-पाठ, धार्मिक आचरण आदि के बगैर जीते थे यानी कुछ अंधश्रद्धा थी, कुछ अव्यवस्था थी जिन्हें मोटे तौर पर “जंगली” या “बर्बर” कहा जाता था।ऐसी कई जातियां स्पेन-पुर्तगाल में आकर रहने लगी थी। ईसाई धर्म यूरोप में प्रवेश कर चुका था पर अभी तक स्पेन-पुर्तगाल में नहीं पहुँचा था। बाद में पहुँचा जरूर मगर इसके कुछेक सौ वर्ष बाद यहां इस्लाम धर्म भी पहुँच गया। अब यह एक लंबी कहानी है मगर इस्लाम धर्म के राजा–महाराजाओं ने डेढ़–दो सौ वर्षों तक यहां शासन किया और यहां के लोगों की सोच को काफी प्रभावित किया। ईसाइयों के धर्म गुरुओं के रहन-सहन, बात–विचार पर इस्लाम धर्म ने उंगली उठाई। ईसाई धर्म में व्याप्त बुराइयों की तरफ इशारा किया हालांकि बाद में होली एपायर के तहत ईसाई राजाओं ने इस्लामी शासन को खत्म किया और यहां ईसाई शासन व्यवस्था शुरू हुई मगर धार्मिक पुनर्जागरण की एक मशाल स्पेन-पुर्तगाल में जल चुकी थी जो बाद में पूरे यूरोप में फैली।
यूरोप में हर तरह से यानी धार्मिक सामाजिक व वैज्ञानिक पुनर्जागरण हुआ और यूरोप के साथ-साथ पूरे विश्व में एक नई दृष्टि, एक नई सोच, एक नई चेतना का जन्म हुआ। बाद में इस क्रांतिकारी धारा ने पूरा इतिहास बदल दिया।
कोलंबस और वास्कोडिगामा को हम कैसे भूल सकते हैं जो इंडिया की खोज में ऐसे पागल हुए की “वेस्टइंडीज” और “रेड इंडियन” जैसे शब्द इतिहास का हिस्सा बन गये। ये दोनों साहसी नाविक स्पेन-पुर्तगाल की धरती को छूकर ही आगे बड़े थे। ऐसी ढेर सारी रोचक जानकारियां जिस देश में भरी पड़ी हो वहां जाने की इच्छा क्यों ना हो और यही जिज्ञासु मन लिए मैं भी उस धरती पर पहुँच गई। यात्रा पूर्व वहाँ के इतिहास,भूगोल को खंगाला और मंत्रमुग्ध घूमती रही।
वाकई स्पेन-पुर्तगाल बहुत सुंदर जगह है। अपने देश, शहर,रास्ता–घाट, गलीकूचों को कैसे साफ-सुथरा रखा जा सकता है यह कोई इन यूरोपीय देशों से सीखे। मानती हूं भारत की जनसंख्या विपुल है उंगलियों पर नहीं गिना जा सकता किंतु इसका यह मतलब नहीं है कि हम गंदगी के ढेर पर बैठे रहें। भारत में नित रोज बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है मगर ऐसी बातों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
वैसे इस स्पेन-पुर्तगाल यात्रा में सब कुछ बहुत अच्छा रहा लेकिन हमारे कुछ सहयात्रियों के साथ अप्रिय घटनाएं घटी। मैंने उनसे आग्रह किया कि वह अपनी आपबीती लिखकर दें तो मैं इसे अपनी यात्रा वृतांत में रख सकूं ताकी सफर के दौरान आप अतिरिक्त सावधानी बरत सकें। इस तरह की घटनाएं सफर को बोझिल बना देती हैं। ये नहीं होना चाहिए किंतु “चोर-उचक्के” एक ऐसी नस्ल के जीव हैं जो धरती पर कहीं भी रक्तबीज की तरह पनप जाते हैं।अच्छे लोगों के साथ बुरे लोग भी पाए जाते हैं जो अपने देश, अपनी धरती को कलंकित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। देश की महिमा,गौरव धूमिल हो रही है इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता। खैर, सबसे अच्छा उपाय है आप खुद सावधान रहें। विदेशों में चोरों की निगाह सिर्फ “पासपोर्ट” पर रहती है पर “डॉलर–यूरो” मिल जाए तो और भी उत्तम। ऐसे फालतू लोगों की वजह से हम कहीं आना-जाना, भ्रमण तो नहीं छोड़ सकते हैं! सो बिंदास घूमिए और एलर्ट रहें।
“गो एवरीव्हेयर टूर कंपनी के” टूर लीडर अंजन और सायन ने इस सिचुएशन को बखूबी हैंडल किया और उनके भगीरथ प्रयास से स्थिति संभली और बाकी यात्रा सुखद रही। हां,जिनका नुकसान हुआ उसकी भरपाई तो नहीं हो सकी।
खैर, मेरी “स्पेन-पुर्तगाल” पर लिखी किताब आपके हाथ में है। मैंने जो देखा, सुना, अच्छा– बुरा जो महसूस किया उसे इतिहास–भूगोल सहित कागज के पन्नों पर उतार दिया है। आप पढ़िए और अपनी यात्रा का प्लान कीजिए। इस ग्रुप के सभी सहयात्रियों को मेरा अशेष आभार जिनकी जिंदादिली और अपनापन से ये यात्रा सुखद और सफल रही।
अंजनी प्रकाशन का विशेष धन्यवाद जिन्होंने इस “स्पेन-पुर्तगाल” जैसे महती सफर को “यात्रा-वृतांत”का रूप दिया।
माला वर्मा

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