अल्हड़ कलम

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मैं, गोविंद चौधरी ‘आदित्यराज’ हिन्दी साहित्य का एक अदना-सा विद्यार्थी और एक छोटा-सा पाठक हूँ। ‘अल्हड़ कलम’ रचना मेरे जीवन, दर्शन, सोच, कल्पना, संदेश और चिंताओं से जुड़ी रचना है। इसमें मैंने बहुत से प्रसंग आस-पास के सामाजिक, राजनीतिक, वैचारिक परिस्थितियों से जोड़े हैं। एक कवि हूँ साथ ही शिक्षक भी, इसलिए आज तक जो कुछ भी मैंने अपने आँखों से देखा हैं, माँ-बाप से सीखा है, बड़े बुजुर्गों से जाना है, वो सब मैंने अपनी लेखनी के माध्यम से प्रस्तुत किया है। इसे पढ़ते वक्त आपसे एक निवेदन है कि इसमें शेष रह गई गलतियों को नजरंदाज कर इसके भाव पर ध्यान देंगे और ये रचना आपको कैसी लगी ये हमें अवश्य बताएंगे। इसके लिए मैं आपको पहले से ही मुस्कुराहट के साथ अग्रिम धन्यवाद देता हूँ।
इसके अलावा मैं अपने बारे में क्या लिखूँ! मुझे जो भी लिखना था वो सब मैंने इस किताब ‘अल्हड़ कलम’ में लिख दिया है। यह मेरी पहली काव्य संग्रह है जो वर्षों के प्रयास के बाद इस किताब के रूप में छप रही है, इसके छपने में डॉ. माला वर्मा जी तथा मित्र नंदलाल साव का विशेष योगदान है। मैं डॉ. माला वर्मा जी का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मेरे इस किताब के लिए अपने बहुमूल्य साहित्यिक जीवन से कुछ समय निकाल मेरी रचनाओं पर अपनी दृष्टि दौड़ाई तथा कुछ त्रुटियों से मुझे अवगत भी कराया जिसके बाद मेरी यह रचना आपके सामने आ सकी। इसके अलावा मैं ‘अंजनी प्रकाशन’ के प्रकाशक मेरे मित्र नंदलाल साव के प्रति भी कृतज्ञ हूँ, जिन्होंने मुझे इन रचनाओं को पुस्तक का आकार देने में संबल प्रदान किया।
गोविंद चौधरी (आदित्यराज)

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  • Author: GOVINDa CHOUDHARY (ADITYARAJ)
  • Edition: First
  • Language: Hindi
  • Publisher: Anjani Prakashan
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SKU: 978-81-948558-6-6 Category:

गोविंद चौधरी ‘आदित्यराज’ जी की काव्य संग्रह ‘अल्हड़ कलम’ के बारे में मुझे कुछ लिखना है। समझ में नहीं आ रहा कैसे, किस तरह, किस कविता, गजल, शायरी से मैं अपनी बात शुरू करूँ! युवा कवि, गजलकार की यह पहली गजल संग्रह है। अगर संग्रह के ‘अल्हड़’ शब्द पर आऊँ तो अल्हड़ का मतलब होता है उन्मुक्त बाधारहित, नियंत्रणविहीन नवप्राप्य, मनमौजी, जिसमें अनुभव की कमी हो आदि-आदि कुछ और मतलब भी निकाले जा सकते हैं, पर मेरी नजरों में वाकई इन सभी रचनाओं में एक उद्वेग, एक संदेश, समाज को नए सिरे से सोचने के लिए बाध्य करते ईमानदार शब्द, शुरुआत करते हुये अपनी मंजिल पर पहुँचते अक्षर। हर रचना जैसे कलम की धार से उद्वेलित हो उठी हो। पहाड़ी झरने की तरह अल्हड़ मदमस्त, ऊंचाइयों से नीचे जमीन तक आती नदी की अल्हड़ धार जो कई बाधाओं को पार करती हुई अंततः झरने से एक नदी का रूप लेती है और अपनी मंजिल – समुद्र से जा मिलती है। यानि एक अल्हड़पना में भी नदी की एक-एक बूंद सार्थक है।
युवा रचनाकार गोविंद जी की हर रचना अपने आप में समाज को एक संदेश देती है – किसी मंजे हुये रचनाकार की कृति सदृश्य। इस एक पूरे काव्य संग्रह में हर उस विषय को लिया गया है जिसमें हम आप कभी न कभी गुजर चुके हैं। इन रचनाओं में प्रेम की अनुभूति के साथ समाज को नई दिशा, उसे बदलने, राजनीति को साफ-सुथरा रखने की छटपटाहट, अपनी जमीं से जुड़े रहकर, उसमें जज़्ब होने की इच्छा, गहरी संवेदना से लेकर मन का आक्रोश भी झलकता है। या कहूँ इन सभी रचनाओं में हमारे मन के नवरस छिपे हैं। जहां कवि एक युवा के प्रेम की कोमल भावनाओं को अपने शब्द देता है तो वहीं अपनी सरजमीं पर धर्म-राजनीति से उत्पन्न दंगा-फसाद के दौरान किसी की मृत्यु से उत्पन्न क्षोभ, बेबसी, दुख तकलीफ, आक्रोश, लाचारगी की बानगी भी प्रस्तुत करता है – जो स्वाभाविक है। सब कुछ इतना प्रवाहमान कि मैं स्वयं इन रचनाओं में आकंठ डूबी-बहती चली गई। ये एक कलमकार का जादू है। कहीं कोई रुकावट नहीं, बाधा नहीं। इस काव्य संग्रह का नाम ‘अल्हड़ कलम’ बहुत सोच समझ कर रखा गया है।
हर रचना अपने आप में एक शुभारंभ है और अंतिम शब्द के साथ मंजिल भी। किसी रचनाकार की रचनाएँ अगर कुछ सोचने पर मजबूर करती हैं – तो ये कलम की सार्थकता है। इस पुस्तक की सारी बातें हमारे मन में भी जाग्रत होती हैं लेकिन उन मनोभावों को कितने लोग पन्नों पर उतार पाते हैं! ये एक युवा कवि, एक गजलकार की लेखनी की धार है जिसे एकबार पढ़ना शुरू करें तो आप भी उस अल्हड़ प्रवाह में बहते चले जाएंगे। एक कहावत है, जहां न पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे कवि।
इस काव्य संग्रह को पढ़कर मुझे ‘मैक्सिम गोर्की’ की कही एक बात याद आ गई, “पुस्तकें मानव द्वारा सृजित चमत्कारों में से सबसे बड़ा चमत्कार है।” और सच गोविंद जैसे नए किन्तु अनुभवी लेखक की ये काव्य संग्रह जब प्रिंट होकर आपके हाथ में आएगी तब आपको भी एहसास होगा कि सार्थक पुस्तकें मानव द्वारा सृजित एक चमत्कार ही है।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करती हूँ और इतना विश्वास है कि ये काव्य संग्रह साहित्य जगत में अपना एक मुकाम हासिल करेगी और पाठकों को नए सोच-विचारों से भर देगी। आइये एक नए कलमकार का अपने हिन्दी साहित्य जगत में स्वागत करें। धन्यवाद और ढेरों शुभकामनाओं के साथ।
माला वर्मा
लेखिका

Weight 110 g
Dimensions 19 × 14 × 1 cm

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