अगर इजाज़त हो
लेखन की कलम से
दिल में जब कोई तूफान उठता है और दर्द पैदा होता है तो कुछ विलक्षण करने का जी करता है। देश-विदेश और आस-पास में घटने वाली घटनाएँ जब दिल पर असर करती हैं तो कविता के रूप में लेखनी के द्वारा कागज पर उतरती है।
इस संकलन की सभी कवितायें यथार्थ के धरातल पर लिखी गई है एवं समसामयिक है। इनकी भाषा सरल एवं सीधी है, जिसे साधारण से साधारण पाठक भी आसानी से समझ लेता है। मैं एक साधारण आदमी हूँ और मैंने साधारण लोगों के समझने लायक ही कविता लिखी है, जिसे एक हल चलाने वाला किसान, मिट्टी ढोने वाला मजदूर, रिक्शे वाला भी पढ़कर या किसी से सुनकर सहजता से समझ जाएगा। उसे समझने के लिए किसी पढ़े लिखे व्यक्ति के पास नहीं जाना पड़ेगा और न ही शब्दकोश देखने की जरूरत पड़ेगी।
अगर बढ़िया खाना बना दिया जाया और खानेवाला न मिले, तो भोजन बेकार हो जाएगा। अंग्रेजी में एक कहावत है ‘ऑपरेशन सक्सेसफुल’ बट पेशेंट डायड।’ यानी ऑपरेशन बहुत बढ़िया सफल रूप से हो गया, लेकिन रोगी मर गया। तो फिर उस बढ़िया ऑपरेशन (शल्य चिकित्सा) से क्या फायदा? ठीक उसी तरह बहुत बढ़िया-बढ़िया कवितायें लिखी जा रही हैं लेकिन जिन्हें केवल चंद साहित्यकार ही पढ़ पाते हैं। साधारण लोगों की पहुँच से दूर ही रहती है।
आज कल तीन तरह की कवितायें लिखी जा रही है, एक तो साहित्यिक, दूसरी मंच पर भीड़ इकट्ठी करने वाली एवं तीसरी इन दोनों के बीच की। मैंने बीच का ही रास्ता अपना है।
इस संकलन की कविताओं को पढ़कर या सुनकर अगर एक व्यक्ति भी लाभान्वित होता है तो मैं समझूँगा कि मेरा प्रयास सफल हो गया। मुझे विश्वास है ऐसा जरूर होगा। आप पाठक बंधुओं से अनुरोध है कि अपना बहुमूल्य सुझाव / टिप्पणी जरूर दें।
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