दक्षिण अमेरिका उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग छह गुना बड़ा है। इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एंडीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टिटिकाका झील हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राजील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेंटीना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेजुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं।
अरे! देखिए मैं क्या बयान करने लगा! जी हाँ, आप सौभाग्यशाली है कि हिंदी भाषा में दक्षिण अमेरिका यात्रा वृतांत आपके हाथों में हैं। इंटरनेट से लेकर विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं के पास तक ढूंढ आया पर इस देश के बारे विशेष कर पर्यटन के उद्देश्य से आसान विवरण कहीं नहीं मिला। ऊपर का जो अंश मैंने प्रस्तुत किया है वह भी कुछ आधा-अधूरा विकिपीडिया के हिंदी संस्करण में मिलता है जिससे किसी की भी दक्षिण अमेरिका देशाटन की तितिक्षा शायद ही पूर्ण हो सके।
माला वर्मा जी हिंदी भाषा में यात्रा वृतांत लिखने वाली अद्वितीय रचनाकार हैं। इनकी समस्त रचनाओं में सुलभ एवं सहज भाषा में जिस प्रकार से पर्यटक स्थलों का वर्णन आया है वह अद्वितीय है। अपनी इसी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने दक्षिण अमेरिका का सचित्र विवरण प्रस्तुत किया है। उनकी सबसे अच्छी खासियत यही है कि ऐतिहासिक घटनाओं से वर्तमान की कड़ी को जोड़ते हुए पर्यटक के लिए सुलभ और सहज भाषा में प्रस्तुत विवरण किसी भी स्थान पर सहज ही घूम आने के लिए व्यक्ति को उत्प्रेरित कर देता है। दक्षिण अमेरिका के विभिन्न संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, भोजन-रहन-सहन और अन्य शैलियों का विवरण लेकर यह पुस्तक संकलित की गई है। यदि आप पर्यटन पसंद करते हैं तो आपके लिए इससे अच्छी मार्गदर्शिका कहीं नहीं मिल सकती। यदि आप आम पाठक हैं तो भी इसे पढ़ने के बाद आपके मन में दक्षिण अमेरिका की यात्रा की इच्छा एक बार तो अवश्य ही प्रस्फुटित होगी ही। विभिन्न कलेवरों से सजे और विभिन्न समय में इसके विविध स्थानों की सुंदरता और वहाँ तक पहुँचने की समस्त प्रक्रिया का विवरण इसमें उपलब्ध है। इस पुस्तक की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम ही है।
आपके मन में कौतूहल बना रहे तथा पुस्तक के विभिन्न पठनीय सामग्रियों का आप ठीक से रसास्वादन कर सके इसके लिए यह अत्यावश्यक है कि मैं आवश्यकता से अधिक विवरण प्रस्तुत न करूँ। आइए आगे बढ़ते हैं और इसके आगे के पृष्ठों में लेते हैं दक्षिण अमेरिका की सम्पूर्ण जानकारी।
पुस्तक की अपार सफलता की शुभकामनाओं सहित –

साउथ अमेरिका (ब्राजील-अर्जेन्टीना-पेरू)
₹400.00
विश्व में अत्याधुनिक सभ्यता की शुरुआत लगभग 500 वर्ष पूर्व हुई, इसमें कोई संदेह नहीं। अपने को सभ्य कहने वाले भारत, चीन, मिस्र तथा मुस्लिम मुल्कों में अभी भी विज्ञान पूरी तरह लोगों के जीवन में शामिल नहीं हुआ था और वैज्ञानिक तथ्यों को संदेह से देखा जाता था। पृथ्वी गोल है तथा अपनी धुरी पर घूमती है। इस मूलभूत बात को यूरोप ने समझ लिया जबकि अन्य सभ्यताएं इसे मानने को तैयार नहीं थी इसी ज्ञान को आधार मानकर यूरोप के खोजी नाविक बेड़े पश्चिम की ओर मुखातिब हुए। बहुतों ने जान गंवाई, कोलंबस आखिर अमेरिका पहुँच ही गया।
हमारे सामने एक नई दुनिया (अमेरिका) आई। अब तक यूरोप सिर्फ वन-संपदा तथा जन-संपदा यानी की भोज्य सामग्रियाँ, धातुओं के अयस्क, लकड़ियाँ, जीव-जन्तु तथा गुलामों के लिए भाग रहा था। कोलंबस की खोज ने एक अन्य संपदा जोड़ दी – धन संपदा! इस नई दुनिया में इतना ‘सुवर्ण’ दिखा कि यूरोप की आँखें चौंधिया गई। अब सभ्यता का इतिहास कुछ नये तरीकों से लिखा जाने लगा। इस नए इतिहास में स्पेन, पुर्तगाल, इंग्लैंड, फ्रांस, हॉलैंड तथा इटली आदि देश आगे आये। पुरानी सभ्यता पर इतराने वाले लोग मीलों पीछे छूट गये।
इस नई दुनिया (अमेरिका) का नया इतिहास कुछ नये तरीके से लिखा जाने लगा। इसमें अपनी बहादुरी के साथ अपनी गलतियों का भी खुला जिक्र था। इन यूरोपियन देशों ने जहां गलत किया, अत्याचार किया तथा मूर्ख बनाया – इन बातों के लिए बाद में उन्होंने उन देशवासियों के सामने अफसोस भी जाहिर किया। सब मिलाकर एक मनोरंजक इतिहास बना। ऐसे दक्षिण अमरीका को क्यों न और करीब से देखा जाये !
नदी, पहाड़ तथा जंगलों के अलावा और भी कुछ सामाजिक तथा ऐतिहासिक दिलचस्प बातें हैं जिनकी मैंने समुचित चर्चा की है। सभ्यता की इस दौड़ में आज उत्तरी अमेरिका आगे दिखता है मगर सदियों पहले कभी दक्षिण अमेरिका ही आगे था और सम्पन्न भी। इस यात्रा संस्मरण को लिखते हुए मैंने उन सारी बातों को ध्यान में रखा है।
इस एक यात्रा में हमने एक से बढ़कर एक अजूबे देखें। हम हैरान थे, विस्मित थे। कभी सोचा न था इन्हें इस कदर, इतने करीब से, इन्हें स्पर्श भी किया जा सकता है! पूरी यात्रा ही विचित्रता से भरी रही जिसे लेखनी में बांधना असंभव कार्य था फिर भी मैंने कोशिश की है। मेरी इस किताब को पढ़िये और बताइए मैं अपने प्रयास में कहाँ तक सफल रही। इस अनुभव से आप भी रूबरू हो और दक्षिण अमेरिका को घर बैठे मेरी नजरों से देखे।
इस यात्रा में सम्मिलित मेरे सभी सहयात्रियों का आभार जिनकी वजह से यात्रा सुखद रही तथा टूर लीडर पिनाकी मित्रा का विशेष थैंक्स जिनकी देखरेख में यात्रा सम्पन्न हुई। शुक्रगुजार हूँ – श्रीमान नंदलाल साव का जिन्होंने मेरे उन्नीस दिन के अनुभव को पुस्तक का रूप दिया और डॉ. बिनय कुमार शुक्ल का विशेष आभार जिन्होंने इस पुस्तक की भूमिका लिख, मुझे अनुग्रहित किया…
100 in stock
- Author: Mala Verma
- Edition: First
- Language: Hindi
- Publisher: Anjani Prakashan
Weight | 250 g |
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Dimensions | 24 × 14 × 2.5 cm |
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