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आइसलैंड-लैपलैंड
₹400.00
Weight | 250 g |
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Dimensions | 24 × 14 × 2.5 cm |
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Description
बात उन दिनों की है जब आइसलैंड के एक ज्वालामुखी का उद्गार पूरे विश्व में जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया था। राख तथा धुंआ कई दिनों तक आसमान में इस कदर छाया रहा कि यूरोप के हजारों फ्लाईट्स कैंसिल हो गये, लोगों की आवाजाही बाधित हुई तथा करोड़ों-अरबों का व्यापारिक नुकसान हुआ।
एक छोटा सा देश जो एटलस पर एक बतख के चूजे जैसा नजर आता है अपने पेट में इतना गैस तथा राख भरे हुए था कि करोड़ों लोगों को पल में प्रभावित कर गया। मैं उन दिनों ग्रीस यात्रा पर थी। पचास लोगों के ग्रुप में उनतीस यूरोपियन लोग नहीं पहुंच पाये थे। मेरा वक्त से भारत लौटना भी बड़ी मुश्किल से संभव हो पाया था।
सारी बातें फिर से याद आने लगीं। आइसलैंड को जानने की जिज्ञासा तभी से मन में समायी थी। यह ‘लैंड ऑफ आइस एंड फायर’ भी कहलाता है। यहां सिर्फ बर्फ का साम्राज्य नहीं बल्कि ढेरों सुसुप्त व जाग्रत ज्वालामुखी भी मौजूद है। वहां लोग कैसे रहते होंगे! फुटबॉल जैसे खेल में अपना नाम कमाने वाले इस देश के लोग कैसे होंगे! आग धुंए से निर्मित उबड़-खाबड़ जमीन पर खेल के मैदान
कैसे गढ़े गये होंगे!
आइसलैंड सिर्फ इन्हीं बातों के लिये नहीं जाना जाता। ये ‘लैंड ऑफ लिटरेचर’ के लिये भी प्रसिद्ध है। घर-घर में लेखक और पाठक एक संग मौजूद हैं। मेरा लेखक मन उस देश को करीब से देखने के लिए मचल उठा।
इस देश में वैसे तो ढेरों अचंभे हैं लेकिन इन सबसे इतर एक और अजूबा है। ठंड के दिनों में आकाश में सतरंगी परियां डांस करती नजर आयेगी जो इतनी अद्भुत खूबसूरत होती है कि जिसे देखने प्रचंड ठंड में यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग जुट आते हैं। खुली आँख से रात को आसमान में ताकते रहिए। ये सतरंगी किरणें उभर आयेगी फिर तो इस प्राकृतिक, बेमिसाल, अद्वितीय नजारे अपने कैमरे में, अपनी आँखों में, दिल-दिमाग में बसाये, इनमें ऐसे लीन होंगे कि सबकुछ भूला बैठेंगे। इसे ‘नॉर्दन लाइट्स’ कहते है।
तो वहीं गर्मी में ‘मिड नाइट सन’ का आनन्द लें। आपकी घड़ी में रात के बारह बजे होंगे लेकिन सूरज आसमान में चमकता नजर आयेगा। आप कभी अपनी घड़ी तो कभी मुस्काते सूरज को देखते
रहें। गर्मी में सूरज हटने को तैयार नहीं और ठंड में ऐसी डूब लगायेगा कि शाम साढ़े तीन बजे ही गायब! लेकिन दोनों स्थिति में सूरज
अपना जलवा बिखेरता है।
नॉर्दन लाइट्स (अरोरा बोरियालिस) को देखने हम आइसलैंड- लैपलैंड पहुंचे थे। सूरज हमें कुछ घंटे ही दिखता लेकिन ‘इसी सूरज’ की वजह से रात के घुप्प अंधेरे में नॉर्दन लाइट्स तैयार हो रहा था। सोचें तो सिर्फ एक सूरज हमारी पूरी धरती को कितना कुछ नये रंग रूप से नवाज़ता है। इस सूरज के सामने हम घुटने ना टेके तो क्या करें!
गागर में सागर की उक्ति को फलीभूत करता यह आइसलैंड-लैपलैंड शायद आपको भी अचंभित कर दे…
माला वर्मा
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