भारत और पड़ोसी देशों की यात्रा अतीत और वर्तमान में बदलाव
माला वर्मा की पुस्तक भारत और पड़ोसी देशों की यात्रा, जिसमें लेखिका ने न केवल विश्व के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया, बल्कि नेपाल, भूटान, गुजरात, राजस्थान और वैष्णो देवी यात्रा के माध्यम से भारत और उसके पड़ोसी देशों की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का भी बारीकी से अध्ययन किया है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखिका ने उन स्थानों के धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक परंपराओं और सामाजिक जीवन की भी गहरी छानबीन की है। जब हम इस पुस्तक के अध्यायों को पिछले और आज के समय के संदर्भ में जोड़ते हैं, तो हम पाते हैं कि इन स्थलों पर हुए परिवर्तन न केवल पर्यटन के दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहे हैं।
यह यात्रा संस्मरण हमें भारत और उसके पड़ोसी देशों के सांस्कृतिक परिवेश, धार्मिक महत्व और बदलते हुए परिप्रेक्ष्य को समझने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। आइए हम माला वर्मा द्वारा किए गए विभिन्न यात्रा स्थलों की समीक्षा करें और देखें कि अतीत और वर्तमान में क्या बदलाव आए हैं।
गुजरात यात्रा : अतीत और वर्तमान में सामाजिक-आर्थिक बदलाव
गुजरात की यात्रा पर माला वर्मा ने अहमदाबाद, द्वारका, सोमनाथ और गांधी आश्रम जैसे प्रमुख स्थलों का दौरा किया था। गुजरात की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर उस समय अत्यधिक प्रभावशाली थी और द्वारका और सोमनाथ जैसे स्थानों पर प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का महत्व अत्यधिक था। जब माला वर्मा गुजरात में यात्रा कर रही थीं, तो ये स्थान अपेक्षाकृत कम विकसित थे और यात्रियों की संख्या भी सीमित थी। द्वारका के मंदिर और सोमनाथ के मंदिर में धार्मिक आस्था के कारण तीर्थयात्रियों की भीड़ थी, लेकिन सुविधाओं की कमी थी। उस समय, इन स्थानों पर सरकारी प्रयासों की कमी थी और स्थानीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई विशेष कार्यक्रम नहीं थे।
आज के समय में गुजरात ने पर्यटन उद्योग में अपनी पहचान बनाई है। वर्तमान में, गुजरात में पर्यटन का सबसे बड़ा योगदान उसके ऐतिहासिक स्थलों और व्यापारिक उन्नति से है। द्वारका और सोमनाथ जैसे धार्मिक स्थल अब आधुनिक सुविधाओं से लैस हो चुके हैं और पर्यटकों के लिए बेहतर आवास, परिवहन तथा अन्य सेवाओं का प्रबंध किया गया है। गुजरात सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि राज्यभर में हवाई अड्डों का विस्तार, सड़क नेटवर्क का सुधार और धार्मिक स्थलों पर सुविधाओं का विकास। इसके अतिरिक्त, गुजरात में औद्योगिकीकरण और व्यापार में भी तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सुधार हुआ है। गुजरात में सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे शहर अब अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र बन चुके हैं।
राजस्थान यात्रा : सांस्कृतिक धरोहर से आधुनिक पर्यटन तक का सफर
राजस्थान की यात्रा में माला वर्मा ने जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे शहरों का दौरा किया था। उस समय राजस्थान में जोधपुर और जैसलमेर जैसे शहरों के किलों और महलों का महत्व अत्यधिक था और ये स्थल मुख्य रूप से भारतीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था। हालांकि, उन दिनों इन स्थलों पर विदेशी पर्यटकों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी और राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई बड़ी पहल नहीं की गई थी। राजस्थान की संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर बहुत समृद्ध थी, लेकिन पर्यटन को व्यवस्थित करने के लिए कोई खास उपाय नहीं किए गए थे।
वर्तमान में, राजस्थान ने पर्यटन के क्षेत्र में भारी विकास किया है। जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, जोधपुर जैसे शहर अब न केवल भारतीय पर्यटकों के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी प्रमुख आकर्षण बन चुके हैं। इन शहरों में होटल, रिसॉर्ट्स और सुविधाओं का विस्तार हुआ है। राजस्थान सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जैसे कि ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण, होटल और ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं का विस्तार तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन। राजस्थान में अब ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा दिया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यटन का विकास हुआ है। राज्य की पारंपरिक कला, शिल्प और संस्कृति का संरक्षण भी किया गया है, जो आज के पर्यटन का एक अभिन्न हिस्सा है।
वैष्णो देवी यात्रा : भौतिक सुविधाओं में वृद्धि और आध्यात्मिक अनुभव
माला वर्मा ने अपनी यात्रा में वैष्णो देवी यात्रा का भी वर्णन किया है, जिसमें उन्होंने यात्रा के दौरान कठिनाईयों और शारीरिक चुनौतियों का सामना किया था। उस समय, वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक लंबा और कठिन रास्ता तय करना पड़ता था। मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई, खराब रास्ते और सामान ले जाने के लिए बैलगाड़ियों का उपयोग किया जाता था। उस समय यह यात्रा एक शारीरिक चुनौती थी, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति भावना उन्हें इस कठिन यात्रा के लिए प्रेरित करती थी।
आज के समय में वैष्णो देवी यात्रा में कई सुधार किए गए हैं। हेलीकॉप्टर सेवा, रोपवे सेवा, बेहतर सड़क मार्ग, घोड़े-खच्चर की सवारी, खान-पान की व्यवस्था और ट्रैकिंग के रास्तों को सुव्यवस्थित करने के लिए कई पहल की गई हैं। अब श्रद्धालु हेलीकॉप्टर से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं और उनके लिए रास्ते में बैठने और खाने-पीने की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। वैष्णो देवी से भैरव मंदिर तक रोपवे की सुविधा की गई है, अभी वैष्णो देवी मार्ग से मुख्य मंदिर तक रोपवे बनाया जा रहा है। भविष्य में यह यात्रा और भी आसान हो जाएगी। हालांकि, कुछ भक्तों का यह मानना है कि इन सुविधाओं के कारण यात्रा का आध्यात्मिक अनुभव पहले जैसा नहीं रहा, फिर भी इन सुधारों ने इस धार्मिक स्थल को दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बना दिया है।
नेपाल यात्रा : शहरीकरण और पर्यटन के बदलाव
नेपाल की यात्रा में माला वर्मा ने काठमांडू और लुम्बिनी जैसे धार्मिक स्थलों का दौरा किया था, जहां बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म का अद्भुत संगम देखा गया था। नेपाल में यात्रा के दौरान लेखिका ने वहां की पारंपरिक जीवनशैली और स्थानीय संस्कृति का बखूबी चित्रण किया है। उस समय नेपाल में पर्यटन उद्योग का विकास अपेक्षाकृत कम था और वहाँ की सामाजिक और धार्मिक परंपराएं काफी संरक्षित थीं। नेपाल का परिवेश अभी की तुलना में बहुत अधिक ग्रामीण था और काठमांडू जैसे शहरों में भी विकास की गति धीमी थी।
आज के समय में नेपाल ने पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। काठमांडू और पोखरा जैसे शहरों में आधुनिक होटल, रिसॉर्ट्स और परिवहन सुविधाओं का विस्तार हुआ है। नेपाल में हवाई यात्रा के विकल्पों की संख्या बढ़ी है, जिससे पर्यटकों को नेपाल में यात्रा करने में कोई कठिनाई नहीं होती। नेपाल सरकार ने पर्यटन उद्योग के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई हैं, जैसे कि साहसिक पर्यटन, पर्वतारोहण, और धार्मिक पर्यटन। नेपाल अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है और हर साल लाखों पर्यटक नेपाल का दौरा करते हैं।
भूटान यात्रा : पर्यावरणीय संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटन
भूटान में माला वर्मा ने जो यात्रा की थी, वह उस समय के भूटान की पारंपरिक जीवनशैली और शांति को दर्शाता है। भूटान का परिदृश्य अत्यधिक सुंदर था और यह देश पर्यावरणीय संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता था। उस समय, भूटान में पर्यटन को नियंत्रित किया जाता था और सरकार ने इसे नियंत्रित तरीके से बढ़ावा दिया था। पर्यटन की संख्या को सीमित किया गया था और यह सुनिश्चित किया गया था कि भूटान के प्राकृतिक संसाधनों और पारंपरिक जीवनशैली को नुकसान न पहुंचे।
आज के समय में, भूटान में पर्यटन उद्योग का विकास हुआ है, लेकिन सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं। भूटान सरकार ने पर्यटकों के लिए उच्च शुल्क लागू किया है, जिससे देश में आने वाले पर्यटकों की संख्या नियंत्रित रहती है। भूटान में पर्यावरणीय संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा, भूटान अब एक प्रमुख पर्यावरणीय पर्यटन स्थल बन चुका है और यह देश अपनी सशक्त नीतियों और जिम्मेदार पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है।
माला वर्मा की यात्रा संस्मरण में जो स्थलों का उल्लेख किया गया है, उन पर पिछले कुछ दशकों में अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। यह बदलाव केवल भौतिक और पर्यटन से संबंधित नहीं हैं, बल्कि इन स्थानों के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक दृष्टिकोण से भी हुए हैं। अतीत में यात्रा कठिन और चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन आज के समय में इन स्थलों तक पहुंचने के लिए कई सुविधाएं एवं आधुनिक तरीके उपलब्ध हैं। हालांकि, यह बदलाव उन स्थलों की पारंपरिक जीवनशैली और आध्यात्मिक अनुभव को प्रभावित कर रहे हैं, फिर भी इन बदलावों ने इन स्थानों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलवाया है।
आज के समय में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि पर्यटन के बढ़ते प्रभाव के साथ हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। इन स्थानों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ हमें वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी होगी।
माला वर्मा की यह यात्रा-वृत्तांत मात्र एक लेखिका की यात्राओं का संकलन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी जीवंत दास्तान है जो पाठकों को भारत और उसके पड़ोसी देशों के दिलों में ले जाती है। पुस्तक में वर्णित अनुभव न केवल भौगोलिक स्थलों का परिचय कराते हैं, बल्कि वहाँ की आत्मा, संस्कृति, परंपरा और परिवर्तनों की जीवंत तस्वीर भी प्रस्तुत करते हैं। लेखिका की कलम ने इन स्थानों को इतिहास और वर्तमान के बीच एक सेतु की तरह जोड़ते हुए एक ऐसी यात्रा अनुभव को रचा है, जिसमें भावनाएं, जिज्ञासा और संवेदना समान रूप से प्रवाहित होती हैं।
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि कैसे एक स्थान समय के साथ बदलता है, कैसे संस्कृति और परंपराएं आधुनिकता के साथ तालमेल बैठाती हैं, और कैसे एक यात्री का अनुभव हमारे भीतर कुछ नया जगाता है-तो यह पुस्तक अवश्य पढ़ें। यह न केवल आपको अलग-अलग भूभागों की सैर कराएगी, बल्कि आपके भीतर भी एक संवेदनशील और जिज्ञासु यात्री को जन्म देगी। माला वर्मा की लेखनी सरल, सहज और सजीव है, जो हर पाठक को बाँधकर रखती है।
अतः इस पुस्तक को केवल एक यात्रा संस्मरण की तरह नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक दस्तावेज की तरह पढ़ें-जो हमें सिखाती है कि कैसे यात्रा केवल बाहर की नहीं, भीतर की भी होती है। यह पुस्तक निःसंदेह हर जिज्ञासु पाठक के लिए एक अमूल्य साहित्यिक धरोहर है।
सादर धन्यवाद…
नन्दलाल साव
संस्थापक व संचालक
अंजनी प्रकाशन
हालीशहर, उत्तर 24 परगना
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
संपर्क : 8820127806
दिनांक : मई, 2025
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